30 रुपये लेकर मुंबई पहुंचे थे देव आनंद, सैनिकों के परिवार को ......




  • अपनी यूनिक स्टाइल, रोमांस और एक्टिंग से सुपरस्टार देव आनंद ने दशकों तक लोगों के दिलों में राज किया. आज भी करोड़ों लोग देव आनंद के दीवाने हैं. देव आनंद ने तेरे घर के सामने, मंजिल किनारे-किनारे, असली नकली जैसी कई हिट फिल्में दी हैं. मगर उनका करियर संघर्ष भरे रास्तों से गुजरा है. वो पढ़ना चाहते थे लेकिन पैसे नहीं थे. ऐसे में उन्होंने जेब में कुछ पैसे रखकर मुंबई की ओर रुख किया. वहां पर उन्होंने नौकरी की फिर थियेटर में रम गए और बन गए सिने जगत के सबसे बड़े सुपरस्टार. आज देव आनंद की बर्थ एनिवर्सरी है. इस खास मौके पर उनके संघर्ष के बारे में जानते हैं.
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    देव आनंद का जन्म पंजाब के गुरदासपुर में एक मिडिल क्लास फैमिली में हुआ था. वे पढ़ाई में बहुत अच्छे थे. उन्होंने लाहौर के मशहूर गवर्नमेंट कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में पढ़ाई की. वे आगे भी पढ़ना चाहते, लेकिन पिता ने साफ कह दिया था कि उनके पास पढ़ाने के लिए पैसे नहीं है.
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    पिता ने यह भी कह दिया था कि अगर वे पढ़ना चाहते हैं तो नौकरी कर लें. ये सुनकर देव आनंद ने कहा कि अगर नौकरी ही करनी है तो क्यों न फिल्म इंडस्ट्री में किस्मत आजमाई जाए. साल 1943 में वे 30 रुपये लेकर मुंबई पहुंच गए.
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    रेलवे स्टेशन के पास ही उन्होंने सस्ते होटल के कमरे में एक कमरा लिया. कुछ दिन बीतने के बाद देव आनंद ने सोचा कि मुंबई में जीवन यापन करने के लिए कुछ न कुछ तो काम करना पड़ेगा. बहुत कोशिशों के बाद उन्हें मिलिट्री सेंसर ऑफिस में जॉब मिल गई.
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    मिलिट्री सेंसर ऑफिस में वह लिपिक के पद पर काम करने लगे. वहां पर सैनिकों की चिट्ठियों को उनके परिवार वालों को पढ़कर सुनाया करते थे. इस काम के एवज में उन्हें 165 रुपये प्रति महीने सैलरी मिलती थी. इसमें से 45 रुपये वह अपने परिवार के खर्च के लिए घर भेज दिया करते थे.
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    एक साल नौकरी के बाद देव आनंद अपने भाई चेतन आनंद के पास पहुंच गए जो भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) से जुड़े हुए थे. चेतन ने देव को भी अपने काम में शामिल कर लिया. देव नाटकों में छोटे-मोटे रोल किया करते थे.
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    देव ने बतौर हीरो साल 1945 में फिल्म एक है से अपने करियर की शुरूआत की थी. 1948 में उन्होंने फिल्म जिद्दी में काम किया जो सुपरहिट साबित हुई. इसके बाद देव आनंद ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने नवकेतन बैनर की स्थापना की और फिल्मों को निर्माण शुरू कर दिया.
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    फिल्मी सफर की तरह देव आनंद की शादी का किस्सा का भी काफी रोमांच भरा है. एक गाने की शूटिंग के दौरान एक्ट्रेस सुरैया की नाव पलट गई थी. देव आनंद ने सुरैया को बचाया और दोनों का प्यार परवान चढ़ गया. दोनों ने शादी करने का फैसला लिया लेकिन सुरैया की नानी इस रिश्ते के लिए हामी नहीं भरीं तो देव आनंद ने एक्ट्रेस कल्पना कार्तिक से शादी कर ली थी.
  • संदर्भ पढ़ें :  uc news

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